गोल्डन ग्लोब्स 2025 में भारतीय सिनेमा को लेकर कई उम्मीदें थीं, खासकर पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन एज लाइट से। इस फिल्म ने अपनी गहन कहानी और अद्भुत निर्देशन के लिए पहले ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर काफी सराहना बटोरी थी। लेकिन, अवॉर्ड समारोह में यह फिल्म और पायल कपाड़िया, दोनों को ही निराशा का सामना करना पड़ा। फिल्म को ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ की श्रेणी में नामांकित किया गया था, लेकिन यह पुरस्कार किसी अन्य फिल्म के हिस्से में गया।
पायल कपाड़िया, जो अपने संवेदनशील दृष्टिकोण और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों के लिए जानी जाती हैं, ने ऑल वी इमेजिन एज लाइट के माध्यम से प्रेम, संघर्ष और अस्तित्व के गहरे पहलुओं को उजागर किया। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के लिए एक नई पहचान साबित हो सकती थी। हालांकि, कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते यह पुरस्कार नहीं जीत सकी।
इस निराशा के बावजूद, पायल ने इसे एक सकारात्मक अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि गोल्डन ग्लोब्स में नामांकित होना ही उनके लिए गर्व की बात है और यह दर्शाता है कि भारतीय कहानियां अब वैश्विक दर्शकों तक पहुंच रही हैं। उन्होंने अपनी टीम और दर्शकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ है।
ऑल वी इमेजिन एज लाइट भारतीय सिनेमा के बदलते स्वरूप का प्रतीक है। यह दिखाता है कि भारतीय फिल्में अब मनोरंजन से आगे बढ़कर गहरी और गंभीर कहानियों को भी उजागर कर रही हैं। पायल कपाड़िया जैसे निर्देशकों की सफलता और उनकी फिल्मों का अंतरराष्ट्रीय मंच पर नामांकन नए फिल्म निर्माताओं के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
गोल्डन ग्लोब्स में भले ही यह फिल्म जीत नहीं पाई, लेकिन इसने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई है। यह दिखाता है कि भारतीय फिल्म निर्माता अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं। पायल कपाड़िया का यह सफर भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और आने वाले वर्षों में यह निश्चित रूप से और भी ऊंचाइयों को छूएगा।
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