कंगना रनोट की बहुप्रतीक्षित फिल्म इमरजेंसी एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस फिल्म के खिलाफ सिख समुदाय के संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) ने फिल्म पर सख्त नाराजगी जताते हुए इसे बैन करने की मांग की है। सिख संगठनों का आरोप है कि फिल्म में कुछ दृश्य और कथानक सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करते हैं।
फिल्म ‘इमरजेंसी’ का विवादित पक्ष
कंगना रनोट द्वारा निर्देशित और अभिनीत इस फिल्म में 1975 में भारत में लागू आपातकाल की पृष्ठभूमि को दिखाया गया है। हालांकि, सिख संगठनों का मानना है कि फिल्म में सिखों को गलत तरीके से चित्रित किया गया है। उनका दावा है कि फिल्म के कुछ हिस्से न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं, बल्कि समुदाय की छवि को धूमिल करने की कोशिश करते हैं।
पीवीआर सिनेमा पर प्रदर्शन
सिख संगठनों ने हाल ही में पीवीआर सिनेमा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि फिल्म को तुरंत बैन किया जाए। उनका कहना है कि यदि फिल्म रिलीज होती है तो यह सिख समुदाय के सम्मान के खिलाफ होगा। कई शहरों में इस विरोध के कारण सिनेमाघरों में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
एसजीपीसी ने क्या कहा?
एसजीपीसी ने कंगना रनोट और फिल्म निर्माताओं को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ऐसी फिल्में, जो ऐतिहासिक घटनाओं को तोड़-मरोड़कर पेश करती हैं, समाज में भ्रम और विवाद पैदा कर सकती हैं। एसजीपीसी के प्रमुख ने कहा, “हम किसी भी ऐसी फिल्म का समर्थन नहीं करेंगे, जो सिख समुदाय के इतिहास और धर्म को अपमानित करती हो।”
कंगना रनोट का जवाब
विवादों के बीच कंगना रनोट ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि फिल्म के किसी भी हिस्से का उद्देश्य किसी समुदाय को अपमानित करना नहीं है। कंगना ने स्पष्ट किया कि इमरजेंसी ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य उस दौर की वास्तविकताओं को उजागर करना है।
समुदाय की नाराजगी
सिख संगठनों का कहना है कि फिल्म ने उनके संघर्षों और बलिदानों को सही रूप से पेश नहीं किया है। उनका मानना है कि 1975 का आपातकाल न केवल राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण समय था, बल्कि कई सिखों के लिए यह व्यक्तिगत आघात का भी समय था।
विरोध के कारण फिल्म की रिलीज पर असर
फिल्म इमरजेंसी को लेकर सिख संगठनों का विरोध फिल्म की रिलीज को प्रभावित कर सकता है। फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलीज होने वाली है, लेकिन इस बढ़ते विवाद के कारण इसकी रिलीज पर संशय बना हुआ है।
सोशल मीडिया पर बंटे विचार
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लोगों के बीच बंटा हुआ मत देखने को मिल रहा है। जहां कुछ लोग फिल्म के समर्थन में हैं और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हैं, वहीं कुछ इसे सिख समुदाय के प्रति असंवेदनशील बताते हैं।
आगे की राह
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि फिल्म निर्माता और सिख समुदाय के प्रतिनिधि इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं। यदि दोनों पक्ष बातचीत के जरिए समाधान ढूंढ पाते हैं, तो यह विवाद जल्द खत्म हो सकता है।
निष्कर्ष
इमरजेंसी जैसी फिल्में ऐतिहासिक घटनाओं को जीवंत करने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं, लेकिन इन्हें संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करना भी जरूरी है। सिख समुदाय के विरोध ने फिल्म के निर्माताओं के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कंगना रनोट इस विवाद को कैसे संभालती हैं और फिल्म अपनी निर्धारित तारीख पर रिलीज हो पाती है या नहीं।
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