फिल्ममेकर अनुराग कश्यप एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला उनके द्वारा दिए गए एक बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा:
“ब्राह्मण लोग औरतों को बख्श दो, इतना संस्कार तो शास्त्रों में भी है…”
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तूफान मच गया। कुछ लोगों ने इसे हिंदू धर्म और ब्राह्मण समुदाय का अपमान बताया, वहीं कई ने अनुराग का समर्थन करते हुए इसे महिला स्वतंत्रता और सामाजिक पाखंड के खिलाफ उठी आवाज़ करार दिया।
इस पूरे विवाद के बाद अनुराग ने इंस्टाग्राम पर एक लंबी पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने अपने बयान की व्याख्या और सफाई दी है।
🎥 विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
अनुराग कश्यप हाल ही में एक पैनल डिस्कशन में मौजूद थे जहां समाज, सिनेमा और संस्कृति पर बातचीत हो रही थी। वहीं, एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह बयान दिया।
उनका कहना था कि समाज का एक वर्ग आज भी औरतों की आज़ादी पर सवाल उठाता है और उसी मानसिकता को उजागर करते हुए उन्होंने कहा:
“संस्कार की बात करते हैं, पर सबसे ज़्यादा संस्कारों का पाठ वहीं पढ़ाते हैं जो घर की औरतों को कैद में रखते हैं। ब्राह्मण लोग औरतों को बख्श दो, इतना संस्कार तो शास्त्रों में भी लिखा है।”
🧨 विवाद का विस्फोट और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
बयान वायरल होते ही Twitter और Facebook पर #BoycottAnuragKashyap ट्रेंड करने लगा। कई यूज़र्स ने इसे ब्राह्मण समाज का अपमान बताया और अनुराग से माफ़ी मांगने की मांग की।
कुछ प्रतिक्रियाएं:
- “अगर किसी और जाति के लिए ऐसा कहा होता तो अब तक केस हो चुका होता।”
- “ये वही अनुराग हैं जो खुद को ‘प्रगतिशील’ मानते हैं लेकिन दूसरों की आस्था पर चोट करते हैं।”
हालांकि, उनके समर्थन में भी आवाज़ें उठीं:
- “अनुराग ने पाखंड पर वार किया है, ब्राह्मणों पर नहीं। सच्चाई कड़वी लगती है।”
- “ये फ्री स्पीच है। वो सिस्टम को आइना दिखा रहे हैं, जाति को नहीं।”
📱 अनुराग की सफाई: नई इंस्टाग्राम पोस्ट
विवाद के बढ़ने के बाद अनुराग कश्यप ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी और पोस्ट में लिखा:
“मैंने किसी समुदाय का अपमान नहीं किया। मेरा इशारा उस मानसिकता की ओर था जो महिलाओं को आज भी समान अधिकार नहीं देती। अगर मेरे शब्दों से किसी को दुख पहुंचा है तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरी मंशा किसी धर्म या जाति को निशाना बनाने की नहीं थी।”
उन्होंने यह भी कहा कि वे महिला स्वतंत्रता के पक्ष में हमेशा आवाज़ उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे।
🎯 क्या था मूल उद्देश्य?
अनुराग का मकसद असल में महिलाओं के अधिकार और पितृसत्तात्मक सोच पर सवाल उठाना था। लेकिन जिस तरीके से उन्होंने बात रखी, वह कई लोगों को आक्रामक और निशानाकारी लगी।
यह पहली बार नहीं है जब अनुराग कश्यप अपने बयानों को लेकर विवादों में आए हों। वे पहले भी सरकार, धार्मिक कट्टरता और सामाजिक मुद्दों पर तीखे बयान देते रहे हैं।
📽️ फिल्मों से लेकर विचारों तक – अनुराग की पहचान
अनुराग कश्यप सिर्फ एक फिल्ममेकर नहीं, बल्कि एक विचारधारा के प्रतिनिधि हैं। उनकी फिल्में जैसे Black Friday, Gangs of Wasseypur, Ugly और Choked — समाज की सच्चाई, करप्शन, और आंतरिक संघर्ष को बखूबी उजागर करती हैं।
उनके विचार भले ही कई बार विवादित लगें, लेकिन उनका मकसद अक्सर सोच को चुनौती देना होता है।
🧠 क्या कहता है यह विवाद हमारे समाज के बारे में?
इस पूरे घटनाक्रम ने फिर से यह सवाल खड़ा किया है — क्या सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुरक्षित है? और क्या कोई कलाकार सामाजिक रूढ़ियों पर सवाल उठा सकता है, बिना धर्म या जाति के खिलाफ समझा जाए?
🔚 निष्कर्ष: एक और बहस, एक और सफाई — लेकिन बहस ज़रूरी है
अनुराग कश्यप का बयान कड़वा ज़रूर था, लेकिन वह सामाजिक पाखंड पर एक ज़रूरी टिप्पणी थी। आज जब सिनेमा, धर्म और राजनीति के बीच की रेखाएं धुंधली हो रही हैं, ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम कलाकारों की बातों को गहराई से समझें, ना कि सिर्फ भावनाओं में बहकर विरोध करें।
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