बॉलीवुड में हर साल कई फिल्में आती हैं, लेकिन कुछ ऐसी होती हैं जो अपनी अनोखी कहानी और बेहतरीन परफॉर्मेंस से दर्शकों को हैरान कर देती हैं। सोहम शाह की नई फिल्म ‘क्रेजी’ (Crazxy) भी कुछ ऐसी ही है। यह फिल्म सस्पेंस, थ्रिल और ड्रामा का एक अनोखा मिश्रण है, जो कभी-कभी आपके सब्र का इम्तिहान लेती है, लेकिन फिर भी आपको बांधकर रखती है।
अगर आप अलग तरह की फिल्मों के शौकीन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए एक दिलचस्प अनुभव साबित हो सकती है। आइए जानते हैं कि ‘क्रेजी’ में ऐसा क्या खास है जो इसे एक बार जरूर देखने लायक बनाता है।
कहानी – सस्पेंस से भरी, लेकिन धीमी रफ्तार!
फिल्म की कहानी एक रहस्यमयी घटना के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें मुख्य किरदार ऐसे हालातों में फंस जाता है, जहां उसे अपनी सोच, धैर्य और समझदारी से रास्ता निकालना होता है। सोहम शाह इस फिल्म में एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभा रहे हैं, जो एक अजीब और खौफनाक सफर पर निकलता है।
फिल्म की शुरुआत शानदार होती है और पहले हाफ में सस्पेंस धीरे-धीरे बनता जाता है, लेकिन इंटरवल के बाद इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है। हालांकि, अंतिम 30 मिनट में फिल्म फिर से पकड़ बना लेती है और एक जबरदस्त क्लाइमेक्स पर खत्म होती है।
सोहम शाह की शानदार परफॉर्मेंस
‘तुम्बाड’ और ‘शिप ऑफ थीसियस’ जैसी फिल्मों से अपनी खास पहचान बनाने वाले सोहम शाह इस फिल्म में भी अपनी बेहतरीन अदाकारी का परिचय देते हैं। उनका किरदार कई लेयर्स से भरा हुआ है और उन्होंने इसे बहुत ही गहराई से निभाया है।
उनके चेहरे के एक्सप्रेशंस और बॉडी लैंग्वेज इतनी प्रभावशाली है कि आप उनकी मनोदशा को महसूस कर सकते हैं। हालांकि, फिल्म की स्क्रिप्ट इतनी मजबूत नहीं है कि उनकी परफॉर्मेंस को पूरी तरह सपोर्ट कर सके, लेकिन उनके फैंस के लिए यह फिल्म किसी ट्रीट से कम नहीं होगी।
डायरेक्शन और सिनेमैटोग्राफी – एक विजुअल ट्रीट!
फिल्म के डायरेक्टर ने एक थ्रिलर और साइकोलॉजिकल ड्रामा को बेहतरीन तरीके से पेश करने की कोशिश की है। हालांकि, कहीं-कहीं फिल्म अपनी पकड़ खो देती है, लेकिन सिनेमैटोग्राफी इसे बचा लेती है।
फिल्म के डार्क और मिस्टीरियस लोकेशन्स, शानदार कैमरा एंगल्स और इंटेंस लाइटिंग इसे एक विजुअल ट्रीट बना देते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक भी काफी एंगेजिंग है और सस्पेंस को बढ़ाने का काम करता है।
कमजोर कड़ियां – स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले
अगर फिल्म में कोई सबसे बड़ी कमजोरी है, तो वह इसकी स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले है।
- धीमी गति: फिल्म कई जगहों पर बहुत स्लो हो जाती है, जिससे दर्शकों का धैर्य टूट सकता है।
- क्लिष्ट संवाद: कुछ डायलॉग्स इतने जटिल हैं कि दर्शकों को समझने में मुश्किल हो सकती है।
- अनावश्यक सीन: कई ऐसे दृश्य हैं, जो फिल्म की कहानी में कोई खास योगदान नहीं देते और सिर्फ समय खींचते हैं।
अगर कहानी को थोड़ा टाइट रखा जाता और कुछ अनावश्यक दृश्यों को हटा दिया जाता, तो यह फिल्म और भी ज्यादा प्रभावशाली हो सकती थी।
क्या ‘क्रेजी’ देखने लायक है?
अगर आप माइंड गेम्स, साइकोलॉजिकल थ्रिलर और अलग तरह की कहानियों के शौकीन हैं, तो ‘क्रेजी’ आपको जरूर पसंद आएगी। यह फिल्म साधारण बॉलीवुड मसाला फिल्मों से बिल्कुल अलग है और एक अलग सिनेमैटिक अनुभव प्रदान करती है।
हालांकि, अगर आप तेज रफ्तार वाली कहानियों के फैन हैं और धैर्य रखने में मुश्किल होती है, तो यह फिल्म आपके लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है।
रेटिंग:
⭐⭐⭐ (3/5)
निष्कर्ष – धैर्य रखें, मजा आएगा!
‘क्रेजी’ एक एंबिशियस लेकिन थोड़ी असमान फिल्म है। इसमें बेहतरीन परफॉर्मेंस, शानदार सिनेमैटोग्राफी और इंटेंस बैकग्राउंड म्यूजिक है, लेकिन इसकी धीमी गति और जटिल कहानी कुछ दर्शकों को परेशान कर सकती है।
अगर आप सस्पेंस, थ्रिल और दिमागी खेल पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए परफेक्ट हो सकती है। थोड़ा सब्र रखिए और इस अनोखी फिल्म का लुत्फ उठाइए!
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